Table of Contents
किशोरावस्था के अन्त होते – होते मासिक धर्म की शुरुआत हो जाती है। इसका अर्थ है की लगभग एक महीने में एक बार योनि (वजाइना) से रक्तस्राव होता है।
ज़्यादातर लड़कियों में यह प्रत्येक महीने 2-4 चम्मच के बराबर होता है। इस रक्त को सोखने के लिए टैम्पॉन या पैड का उपयोग किया जा सकता है।
मासिक धर्म (पीरिएड्स) की शुरुआत
लड़कियों में मासिक धर्म 9 से 16 वर्ष की आयु के बीच शुरु हो सकता हैं। ऐसा होने का अर्थ है की आप किशोरावस्था के अन्तिम चरण में हैं और आप जब वे शारीरिक एवं यौनिक रुप से परिपक्व हो रही हैं।
शुरु में मासिक धर्म अनियमित हो सकता है। हो सकता है मासिक धर्म हर महीने (लगभग 28 दिनों में) न होकर जल्दी (हर तीसरे हफ़्ते) या देर से (हर छठे हफ़्ते) हो। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है, यह सामान्य है। मासिक धर्म सामान्य होने में 3 साल तक लग सकते हैं।
यह ध्यान रखना चाहिए की हर लड़की का मासिक चक्र अलग होता है। अपना मासिक चक्र जानने का सबसे अच्छा तरीका है की कैलेण्डर में कुछ महीनों तक अपने मासिक धर्म के पहले एवं अन्तिम दिन को लिख लिया जाए।
यदि किसी लड़की को 16 वर्ष की आयु तक मासिक धर्म न शुरू हो तो वे क्या करें? मासिक धर्म देर से शुरु होने के कई कारण हो सकते हैं। यह खानपान, तनाव, व्यायाम या गर्भावस्था की वजह से हो सकता है। ऐसे में किसी स्वास्थ्य कर्मी या चिकित्सक से मिलकर यह जान लेना बेहतर होगा की सब ठीक है।
मासिक चक्र
हर महिला को किशोरावस्था में पहुँचने के बाद माहवारी (मासिक चक्र) शुरू होती है। पढ़िए यह कैसे होता है, इससे महिला के शरीर में क्या बदलाव आते हैं, और बहुत कुछ…
यह कैसे काम करता है?
जब कोई लड़की किशोरावस्था में पहुँचती है तब उनके अंडाशय इस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन उत्पन्न करने लगते हैं। इन हार्मोन की वजह से हर महीने में एक बार गर्भाशय की परत मोटी होने लगती है और वह गर्भ धारण के लिए तैयार हो जाता है।
इसी बीच कुछ अन्य हार्मोन अंडाशय को एक अनिषेचित डिम्ब उत्पन्न एवं उत्सर्जित करने का संकेत देते हैं। अधिकतर लड़कियों में यह लगभग 28 दिनों के अन्तराल पर होता है।
निषेचन का न होना = मासिक धर्म होना
सामान्यतः, यदि लड़की डिम्ब के उत्सर्जन (अंडाशय से डिम्ब का निकलना) के आसपास यौन संबंध नहीं बनाती हैं, तो किसी शुक्राणु की डिम्ब तक पहुँच कर उसे निषेचित करने की संभावनाएं नहीं रह जाती हैं। अतः गर्भाशय की वह परत जो मोटी होकर गर्भावस्था के लिए तैयार हो रही थी, टूटकर रक्तस्राव के रुप में बाहर निकल जाती है। इसे मासिक धर्म कहते हैं।
मासिक धर्म शुरु ही हुआ हो :
यदि किसी लड़की का मासिक धर्म अभी ही शुरु हुआ हो, तो हो सकता है उनमें अभी डिम्ब का उत्सर्जन न हो रहा हो। शरीर अपरिपक्व होने पर उसे गर्भावस्था से बचाने का यह प्राकृतिक तरीका है।
मासिक धर्म शुरु होने के पहले साल में केवल 20 प्रतिशत बार डिम्ब का उत्सर्जन होता है।
मासिक धर्म होने के पहले वर्ष में, एक डिम्ब पाँच में से एक ही बार उत्सर्जित हो सकता है। जब तक आपका मासिक धर्म होते हुए 6 साल हो जाएंगें, तब हर दस में से नौ बार डिम्ब का उत्सर्जन होगा।
यह ध्यान रखना चाहिए की हर लड़की अलग होती हैं और एक बार जब वे यौन रुप से परिपक्व हो जाती हैं, वे गर्भवती हो सकती हैं। यदि उनका मासिक धर्म अभी शुरु न हुआ हो तो भी वे गर्भवती हो सकती हैं। यह ना सोचिए की यदि आपका मासिक धर्म देर से शुरु हो तो गर्भनिरोधक का प्रयोग ज़रुरी नहीं है। यह एक बड़ी गलती साबित हो सकती है!
गर्भधारण :
लड़कियाँ एवं महिलाएँ अपने जीवन के एक निश्चित अवधि में ही गर्भधारण कर सकती हैं। ज़्यादातर लड़कियों एवं महिलाओं में यह 15 से 49 वर्ष की आयु के बीच होता है, जब उनका मासिक धर्म हो रहा हो और उनमें नियमित रुप से डिम्ब का उत्सर्जन हो रहा हो।
ज़्यादातर लड़कियों एवं महिलाओं में, दो मासिक धर्म के बीच, हर माह डिम्ब का उत्सर्जन होता है। डिम्ब के उत्सर्जन में एक अनिषेचित डिम्ब, किसी एक अंडाशय से निकल कर, डिम्बवाही नलिका (फैलोपियन ट्यूब्स) से होता हुआ गर्भाशय की ओर पहुँचता है।
गर्भधारण के लिए, डिम्ब के उत्सर्जन के आस पास, इससे लगभग 5 दिन पहले और 1 दिन बाद तक, किसी पुरुष के साथ सेक्स किया जा सकता है। सेक्स के बाद शुक्राणु तैर कर योनि से होते हुए डिम्बवाही नली तक पहुँचते हैं। यदि डिम्बवाही नली में केई अनिषेचित डिम्ब हो तो यह शुक्राणु डिम्ब में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं। यदि एक शुक्राणु डिम्ब में प्रवेश कर जाता है तब डिम्ब निषेचित हो जाता है।
निषेचित डिम्ब फि़र डिम्बवाही नली से होता हुआ गर्भाशय में पहुँचता है। हार्मोन यह निश्चित करते हैं की गर्भाशय की दीवार निषेचित डिम्ब को ग्रहण करने के लिए तैयार रहे। यदि यह डिम्ब गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है तो आप गर्भवती हो जाती हैं
डिम्ब का उत्सर्जन :
चरण 1: मासिक धर्म (पहले दिन से पाँचवें दिन तक)
चक्र के पहले दिन गर्भाशय की परत के ऊतक, रक्त व अनिषेचित डिम्ब योनि के रास्ते शरीर के बाहर आने लगते हैं। यह मासिक धर्म कहलाता है। 28 दिनों के मासिक चक्र में यह चरण 1 से 5 दिनों तक रहता है। पर यदि किसी का मासिक धर्म 2 दिन जितना छोटा हो या 8 दिन जितना बड़ा, तो इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। यह सामान्य है।
चरण 2: कूपिक (फ़ालिक्युलर ) (छठे दिन से चैदहवें दिन तक)
मासिक धर्म के ख़त्म होते ही गर्भाशय की परत मोटी होना शुरू हो जाती है। और दोनों में से एक अंडाशय, एक परिपक्व अनिषेचित डिम्ब का उत्पादन करता है। इस समय योनि में होने वाले स्राव में भी बदलाव महसूस किया जा सकता है। यह ज़्यादा चिपचिपा, सफ़ेद, दूधिया या धुंधला हो सकता है। यह बदलाव इस बात का संकेत हो सकते हैं की आप महीने के उर्वरक समय में प्रवेश कर रही हैं।
डिम्ब उत्सर्जन के ठीक पहले योनि स्राव का रंग एवं बनावट कच्चे अण्डे के सफ़ेद भाग के जैसा हो सकता है। यह स्राव चिकना एवं पारदर्शक हो सकता है जो शुक्राणु को डिम्ब तक पहुँचने में मदद करता है। मासिक धर्म चरण की तरह ही यह चरण भी 7 दिनों जितना छोटा या 19 दिनों जितना बड़ा हो जाता है।
चरण 3: डिम्ब का उत्सर्जन (ओव्यूलेषन) (चैदहवाँ दिन)
डिम्ब के उत्सर्जन में अंडाशय एक परिपक्व अनिषेचित डिम्ब का उत्सर्जन करता है जो डिम्बवाही नली में पहुँचता है। डिम्ब के उत्सर्जन के समय कुछ लड़कियाँ एवं महिलाएँ पेट या निचली पीठ के एक तरफ़ हल्का दर्द महसूस कर सकती हैं। यह भी पूरी तरह सामान्य है।
डिम्ब का उत्सर्जन मासिक धर्म के पहले दिन के लगभग 14 दिन बाद होता है। इसी बीच आपके गर्भाशय की परत और मोटी हो जाती है।
डिम्ब उत्सर्जन क लक्षण
कुछ लड़कियों एवं महिलाओं को डिम्ब उत्सर्जन के समय कुछ वदलाव महसूस हो सकते हैं-
- योनि स्राव में बदलाव
- पेट के एक ओर अल्पकालीन या हल्का दर्द
- सेक्स की इच्छा का बढ़ना
- पेट का फ़ूलना
- दृष्टी, गंध या स्वाद के लिए गहरी समझ
चरण 4. डिम्ब उत्सर्जन से मासिक धर्म (पंद्रहवें दिन से अट्ठाइसवें दिन तक)
उत्सर्जित डिम्ब डिम्बवाही नली से होता हुआ गर्भाशय तक पहुँचता है। गर्भाशय की परत डिम्ब को ग्रहण करने के लिए अधिक मोटी हो जाती है। यदि शुक्राणु द्वारा डिम्ब का निषेचन नहीं होता है तो वह नश्ट हो जाता है। शरीर गर्भाशय की परत एवं डिम्ब को बाहर निकाल देता है और आपका मासिक धर्म शुरु हो जाता है।
यदि डिम्ब का निषेचन हो जाता है और वह गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है और आपका मासिक धर्म नहीं होता है तो इसका अर्थ है लड़की या महिला गर्भवती हैं। अब मासिक चक्र बच्चे के जन्म तक बंद हो जाता है।
मासिक धर्म के समय दर्द
हो सकता है आपको मासिक धर्म के समय या उससे पहले कुछ परेशानियाँ होती हों। यदि आप को ऐसा नहीं होता है तो स्वयं को भाग्यशाली समझिए।
पेट में दर्द एवं मन खराब होना :
कभी कभी मासिक धर्म के पहले लड़कियों को थकान, चिड़चिड़ापन या उदासी महसूस हो सकती है।यह बहुत सामान्य है। ज़्यादातर यह हार्मोन के स्तर में बदलाव के कारण होता है।
तो मासिक धर्म के समय क्या किया जा सकता है?
सबसे अच्छा होगा की आपको अपना ख़्याल रखें।
कुछ सुझाव:
पेट दर्द होने पर
पेट पर गर्म पानी की बोतल से सिकाई करने से ऐंठन में आराम मिल सकता है।
पैरासिटामाल या एस्प्रिन जैसी कोई गोली ले सकतीं हैं।
सिर दर्द होने पर
पैरासिटामाल या एस्प्रिन जैसी कोई गोली ले सकतीं हैं।
पेट फ़ूलने या सूजन होने पर
मासिक धर्म शुरू होने के कुछ पहले से खाने में नमक का उपयोग कम करने से आराम मिल सकता है।
थकान होने पर
विटामिन की आपूर्ति लें जिसमें कैल्सियम शामिल हो ( दूध पिएं)।
आराम करें और कम से कम 8 घंटे सोएँ।
मन खराब होने पर
नियमित रुप से दिन में 30 मिनट व्यायाम करने से जीवन के प्रति एक सुखी दृष्टिकोण बनाए रखने में मदद मिलती है।
चाकलेट जैसी चीज़ें खाने की प्रबल इच्छा होने पर
चाकलेट या दही खाएँ या दूध पिएँ।
यदि किसी को बहुत अधिक दर्द हो रहा हो और इन सुझावों से मदद न मिले या उन्हें अनियमित मासिक चक्र या अधिक रक्तस्राव जैसी परेशानियाँ हों तो वे नज़दीकी स्वास्थ्य कर्मी से संपर्क कर सकती हैं।
साफ़-सफ़ाई
जब आप किसी को किस करते या चूमते हैं या सेक्स करते हैं तो बेहतर होगा की आप साफ़ सुथरे हों और आपके पास से दुर्गंध न आ रही हो। आप अपने दाँत रोज़ ब्रुश करें, रोज़ नहाएँ एवं साफ़ सुथरे कपड़े पहने।
हर व्यक्ति में एक प्राकृतिक गंध होती है और यह प्यार एवं सेक्स में अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है।अक्सर आपको को अमुक व्यक्ति ज़्यादा आकर्षक इसलिए लगते है क्योंकि आपको उनके शरीर की गंध अच्छी लगती है। अतः किसी को भी अपनी प्राकृतिक गंध को ढकने या छुपाने की ज़रुरत नहीं होती। आपके साथी को यह पसंद हो सकती है!
यह सुनने में आश्चर्यजनक लग सकता है की हर व्यक्ति में ऐसी गंध होती है जो उनके साथी को आकर्षित करने के लिए ही बनी होती है।
क्या आप जानते हैं यह फेरोमोन्स नामक रासायनिक संकेत होते हैं। आपको यह पता नहीं होता की वे इसे महसूस कर सकते हैं पर फिर भी यह इस बात को प्रभावित करते हैं की वे अमुक व्यक्ति को पसंद करते हैं या नहीं।
निज़ी देखभाल
पसीना आना
किशोरावस्था में पसीना आने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं, विशेषकर बगलों में, यानी बाहों के नीचे। इसका अर्थ यह है की किसी भी व्यक्ति को पसीना आ सकता है जो की दुर्गंधित हो सकता है। यह पूरी तरह सामान्य है – बस, रोज़ सफ़ाई रखना और साफ़-सुथरे कपड़े पहनना बहुत ज़रुरी है।
मुहांसे
हार्मोन्स की वजह से, ऊपरी तह या त्वचा ज़्यादा तेल उत्पन्न करती है। इसकी वजह से त्वचा पर दाग या मुहांसे आ सकते हैं।
यदि आप को मुहांसे निकल आएं तो आप त्वचा को कम चिपचिपा करने के लिए कोई शोधक या क्लेंज़र का उपयोग कर सकतीं हैं।
साधारण साबुन का इस्तेमाल त्वचा को रुखा बना सकता है जिससे त्वचा और ज्यादा चिपचिपी हो जाती है और इससे मुहांसे निकल सकते हैं।
योनि स्राव
ज़्यादातर लड़कियों को योनि(वजाइना) से पीलापन लिए हुए एक सफेद द्रव्य या पानी का स्राव होता है।
यह द्रव्य योनि से तब निकलता है जब आपका मासिक धर्म नहीं हो रहा हो। यह पूरी तरह सामान्य है। साफ़ सूती चड्डी पहने जिससे योनि तक हवा पहुँच सके।
साफ़ करें पर साबुन से नहीं
टागों के बीच एवं बाहरी होंठ को साबुन से धोना ठीक हो सकता है पर बाहरी और भीतरी होंठ (लेबिया) के बीच या योनि के अन्दर साबुन का इस्तेमाल गलत हो सकता है।
साबुन योनि में जीवाणु के प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ सकता है जिससे फफूंद (फ़ंगल) संक्रमण होने की संभावना बढ़ सकती है। इससे खुजली और जलन हो सकती है या संभोग के दौरान दर्द भी हो सकता है। पर यदि आप योनि को साबुन से धोना चाहें तो किसी सौम्य साबुन का उपयोग कर सकती हैं ना की किसी तेज़ खुशबू वाले साबुन या पदार्थों से।
क्या आप की योनि से गंध आती है?
योनि में एक विशिष्ट प्रकार की गंध होना सामान्य है। अक्सर डिम्ब उत्सर्जन (ओव्यूलेशन) के समय की तुलना में मासिक धर्म से ठीक पहले अलग गंध हो सकती है।
इस गंध को हटाने के लिए साबुन, डूष या किसी सुगंधित वस्तु का इस्तेमाल न करें। इससे योनि में जलन हो सकती है और गंध तीव्र हो सकती है।
वल्वा को पानी से धोएँ और सूती चड्डी पहने। कृत्रिम पदार्थ जैसे पॉलीस्टर से बनी चड्डी पहनने से ज़्यादा पसीना आ सकता है और आपको योनि में जलन हो सकती है। इससे स्राव की मात्रा बढ़ सकती है और योनि से गंध आ सकती है।
सैनिटरी पैड एवं टैम्पॉन
अपने पैड हर कुछ घण्टों बाद नियमित रुप से बदलें। टैम्पॉन को भी मासिक रक्तस्राव की मात्रा के अनुसार हर 4 से 8 घण्टे के बाद बदलते रहना चाहिए।
ज़्यादा जानकारी के लिए पैड एवं टैम्पॉन भाग देखें।