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महिला परिछेदन एक प्राचीन परंपरा है, जिसके अंतर्गत लड़की या महिला के गुप्तांग को काट दिया जाता है। उस लड़की कि जाति और राष्ट्रीयता के मुताबिक़, गर्ल / महिला के गुप्तांग को पूरी तरह या गुप्तांग का कुछ हिस्सा काट दिया जाता है।
महिला परिछेदन कि शुरुवात प्राचीन इजिप्ट (मिस्त्र) से हुई। ऐसा माना जाता है कि ये इजिप्ट से पश्चिम अफ्रीका और वहाँ से इंडोनेशिया व्यापार मार्ग के ज़रिये इस्लाम धर्म कि शुरुवात के साथ फैलता चला गया।
महिला परिच्छेदन क्या है? महिला परिच्छेदन के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
यह एक सदियों पुरानी परंपरा है जिसमें लड़की या महिला के जननांग का परिच्छेदन कर दिया जाता है।
लड़की या महिला की राष्ट्रीयता एवं संस्कृति पर निर्भर करते हुए, उनके पूरे जननांग या उसका कुछ भाग हटा दिया जाता है।
परिच्छेदन, जननांगों का काटना या विकृति?
लव मैटर्स पर हम इस सदियों पुरानी परंपरा एवं मानवाधिकार के बीच की अविरत बहस से परिचित हैं। वहीं हम यह भी जानते हैं की किसी प्रकार का जननांग रुपान्तर – काटना, छेदना, जलाना या महिला जननांगों को फ़ैलाना – महिला के लिए जीवन भर के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्या पैदा कर सकता है। यह स्वास्थ्य समस्याएँ इतनी गंभीर हो सकती हैं, इसलिए हमने इसकी विभिन्न प्रक्रियाओं को महिला जननांग विकृति ही कहा जाना स्वीकार किया है।
फिर भी, उन लड़कियों एवं महिलाओं की मदद करने के लिए जिनका परिच्छेदन हो चुका है, हमने ’महिला जननांगों का काटना‘ या ’महिला परिच्छेदन‘ शब्दों का उपयोग करने का जागरुक निर्णय लिया है। इस निर्णय के पीछे इसके गंभीर स्वास्थ्य परिणामों को नकारना नहीं है बल्कि इससे पीडि़त लोगों को दोबारा चोट पहुँचाए बिना उन्हें उपयोगी जानकारी देना है।
हमारे मूलाधार :
लड़कियाँ एवं महिलाएँ जिनका परिच्छेदन (सर्कम्सिशन) हो चुका है, उन्हें अक्सर इससे जुड़े स्वास्थ्य जोखि़मों के बारे में जानकारी नहीं होती । यदि जानकारी हो तो भी उन्हें दुर्गम कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
कुछ संस्कृतियों में जन्म के बाद ही लड़कियों का परिच्छेदन कर दिया जाता है। अन्य संस्कृतियों में हो सकता है, लड़कियाँ और महिलाएँ ऐसी किसी महिला से कभी मिलें ही न जिनका परिच्छेदन न हुआ हो। और शायद ऐसी स्थिति में परिच्छेदन होना आम बात है।
तीन गुना आघात
किसी के जननांगों को विकृत या असमान्य कहना आघात को सुदृढ़ कर सकता है।
सबसे पहले, हो सकता है किसी लड़की या महिला को यह पता ही न हो की उनका परिच्छेदन हुआ है, और उन्हें पता लगने पर अपने जननांगों पर शर्मिंदगी हो सकती है।
दूसरा, संभवतः यह प्रक्रिया उनकी स्वीकृति के बिना की गई हो, अतः उन्हें अपने परिवार, समुदाय एवं धर्म द्वारा विश्वासघात की भावना हो सकती है।
और अंततः यह पता चलना की वे अनावश्यक ही इतनी परेशानियों का सामना कर रहीं थीं और यह प्रभाव जीवन भर उनके साथ रह सकता है, उनकी पीड़ा को बढ़ा सकता है।
आधुनिक आचरण :
महिला परिच्छेदन (फीमेल सरकमसीज़न) का उद्गम प्राचीन मिस्र में देखा जा सकता है। यह माना जाता है की यह इस्लाम धर्म के साथ व्यापार के ज़रिए मिस्र से पश्चिमी अफ्रिका और इंडोनेशिया तक पहुँचा। यह आचरण इस्लाम, इसाई एवं यहूदी धर्म के पहले से चला आ रहा है।
यह अफ्रिका के 28 देशों में सामान्य रुप से अभ्यास किया जाता है और यह ओमान, संयुक्त अरब अमिरात एवं यमन में भी पाया जाता है।
एक बहुत कम हद तक यह भारत, इन्डोनेशिया, मलेशिया, पाकिस्तान और इराक़ के कुछ समुदायों में भी पाया जाता है।
इन देशों से प्रवास करने के बाद प्रवासियों ने इन अभ्यासों को अपने नए घरेलू देशों में भी ज़ारी रखा है जैसे कनाडा, यू एस, निदरलैंड्स, इटली, स्वीडन, यू के एवं ऑस्ट्रलिया।
चूँकी केवल 20 प्रतिशत मुसलमान ही महिला परिच्छेदन का अभ्यास करते हैं अतः यह सिर्फ़ मुसलमानों का रिवाज़ नहीं हो सकता है।
उल्लेखनीय है की कुछ इसाई और यहूदी भी इसका अभ्यास करते हैं।
क्या यह पुरुष परिच्छेदन (मेल सर्कम्सिशन) जैसा ही है?
संक्षेप में, नहीं। पुरुष परिच्छेदन में लिंग के सिरे को ढकने वाली त्वचा (फ़ोरस्किन) को हटाया जाता है। तुलनात्मक रुप से समान होने के लिए, महिला परिच्छेदन में सिर्फ़ टिठनी के टोप (क्लिटरल हुड) को ही हटाया जाना चाहिए। हालांकि, महिला परिच्छेदन के ज़्यादातर प्रकारों में इससे कहीं ज़्यादा होता है। (पुरुष एवं महिला परिच्छेदन की तुलना)
महिला परिच्छेदन की संख्या :
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार 100 से 140 मिलियन (दस लाख) लड़कियाँ एवं महिलाएँ किसी न किसी प्रकार के परिच्छेदन से गुज़र चुकी हैं।
और यह माना जाता है की हर साल 2 से 3 मिलियन महिला परिच्छेदन और होते हैं।